Sunday, July 21, 2024
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MP board 10th Social Science Varshik Paper 2022 Solution- सामाजिक विज्ञान के यह प्रश्न रट लो

MP board 10th Social Science Varshik Paper Solution 2022 :- कक्षा दसवीं सामाजिक विज्ञान वार्षिक का पेपर कल होने वाला है उसके लिए very Most Important प्रश्न लेकर आए हैं वह भी सलूशन के साथ और आप क्लास 10th सामाजिक विज्ञान पेपर देने से पहले यह प्रश्न आप जरूर याद याद कर ले इन प्रश्नों में से आपको एक प्रश्न जरूर देखने को मिल सकता है।

MP board 10th Social Science Varshik Paper 2022 Solution- सामाजिक विज्ञान के यह प्रश्न रट लो
MP board 10th Social Science Varshik Paper 2022 Solution- सामाजिक विज्ञान के यह प्रश्न रट लो

MP board 10th Social Science Varshik Paper 2022 Solution- कक्षा 10 सामाजिक विज्ञान के यह प्रश्न रट लो

कक्षा दसवीं सामाजिक विज्ञान के पार्ट भारत में राष्ट्रवाद एक महत्वपूर्ण पाठ है जिसमें से आपके वार्षिक सामाजिक विज्ञान पेपर में 4 नंबर का प्रश्न अवश्य आएगा इसलिए आप अपने 4 नंबर की पक्की तैयारी करने के लिए नीचे दिए गए प्रश्न और उनकी उत्तर जल्दी से याद कर लो।

 सामाजिक विज्ञान

क्लास- 10th

पाठ-2

भारत में राष्ट्रवाद

प्रश्न 2. सत्याग्रह के विचार का क्या मतलब है?

उत्तर- सत्याग्रह के विचार में सत्य की शक्ति पर आग्रह और सत्य की खोज पर जोर दिया जाता था। इसका आशय यह था कि अगर आपका उद्देश्य सच्चा है, यदि आपका संघर्ष अन्याय के खिलाफ है तो उत्पीड़क से मुकाबला करने के लिए आपको किसी शारीरिक बल की आवश्यकता नहीं है। प्रतिशोध की भावना या आक्रामकता का सहारा लिए बिना सत्याग्रही केवल अहिंसा के सहारे भी अपने संघर्ष में सफल हो सकता है। इसके लिए दमनकारी शत्रु की चेतना को झिझोड़ना चाहिए। उत्पीड़क शत्रु को ही नहीं बल्कि सभी लोगों को हिंसा के द्वारा सत्य को स्वीकार करने पर विवश करने की बजाय सच्चाई को देखने और सहज भाव से स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। इस संघर्ष में अन्ततः सत्य की जीत होती है।

 प्रश्न 3. निम्नलिखित पर अखबार के लिए रिपोर्ट लिखें-

(क) जलियाँवाला बाग हत्याकांड,

(ख) साइमन कमीशन।

उत्तर-(क) जलियाँवाला बाग हत्याकांड–रॉलेट अधिनियम मार्च 1919 में लागू किया गया। विरोध में पूरे देश से आवाज उठी। पंजाब में भी रॉलेट अधिनियम का विरोध हुआ। पंजाब में ब्रिटिश सरकार ने अनेक जगहों पर लाठी-गोली चलवाई। 10 अप्रैल को कांग्रेस के दो प्रभावशाली नेता डॉ. सत्यपाल और डॉ. सैफुद्दीन किचलू गिरफ्तार किए गए और उन्हें जेल भेज दिया गया। इन गिरफ्तारियों के विरोध में अमृतसर के जलियाँवाला बाग में 13 अप्रैल बैसाखी के दिन विरोध सभा हुई। जैसे ही सभा प्रारम्भ हुई जनरल डायर नामक एक सैनिक अधिकारी ने सभा को किसी भी प्रकार की चेतावनी दिये बिना अपने सैनिकों को सभा की भीड़ पर गोली चलाने का आदेश दिया। सैनिकों ने भीड़ पर गोली चलायी जिसके परिणामस्वरूप लगभग 800 से अधिक व्यक्ति मारे गये तथा 2000 के लगभग घायल हो गये। जलियाँवाला काण्ड से जनता में ब्रिटिश शासन के विरुद्ध व्यापक असन्तोष की भावना जागृत हुई। इसके बाद असहयोग आन्दोलन प्रारम्भ हो गया।

(ख) साइमन कमीशन-1927 में ब्रिटिश सरकार ने सर जॉन साइमन की अध्यक्षता 7 सदस्यों का एक कमीशन नियुक्त किया जिसका काम सरकार के सामने यह रिपोर्ट प्रस्तुत करना था कि 1919 ई. का एक्ट कहाँ तक सफल रहा है। इस कमीशन का बहिष्कार इसलिए किया गया, क्योंकि इसमें सभी सदस्य अंग्रेज थे और भारतीयों का इसमें कोई प्रतिनिधि नहीं था। जहाँ यह कमीशन जाता था वहाँ हड़तालें होती थीं, काली झण्डियाँ दिखायी जाती थीं और ‘साइमन लौट जाओ’ का नारा लगाया जाता था। इसी आन्दोलन का नेतृत्व करते हुए पुलिस की लाठियों के प्रहार से लाला लाजपत राय का निधन हो गया।

प्रश्न 2. नमक यात्रा की चर्चा करते हुए स्पष्ट करें कि यह उपनिवेशवाद के खिलाफ प्रतिरोध का एक असरदार प्रतीक था।

उत्तर- नमक यात्रा-भारत को एकजुट करने के लिए गांधीजी को नमक एक शक्तिशाली प्रतीक दिखाई दिया। इसके कारण उन्होंने निम्नलिखित प्रयास किए

(1) गांधीजी ने 31 जनवरी 1930 को वायसराय इरविन को एक खत लिखा इस खत में उन्होंने 11 माँगों का उल्लेख किया था।

(2) इनमें सबसे महत्वपूर्ण माँग नमक कर को खत्म करने के बारे में थी।

(3) नमक का अमीर-गरीब, सभी उपयोग करते थे। यह भोजन का एक अभिन्न हिस्सा था। इसीलिए नमक पर कर और उसके उत्पादन पर सरकारी इजारेदारी को गांधीजी ने ब्रिटिश शासन का सबसे दमनकारी पहलू बताया था।

(4) गांधीजी का यह पत्र एक अल्टीमेटम (चेतावनी) की तरह था। उन्होंने लिखा था कि अगर 11 मार्च तक उनकी माँग नहीं मानी गई तो कांग्रेस अवज्ञा आन्दोलन छेड़ देगी इरविन झुकने को तैयार नहीं था। इसलिए गांधीजी ने अपने 78 विश्वस्त वॉलंटियरों के साथ नमक यात्रा शुरू कर दी।

(5) यह यात्रा साबरमती में गांधीजी के आश्रम से 240 किलोमीटर दूर दांडी नामक गुजराती तटीय कस्बे में जाकर खत्म होनी थी। गांधीजी की टोली ने 24 दिन तक हर रोज लगभग 10 मील का सफर तय किया।

(6) महात्मा गांधी जहाँ भी रुकते हजारों लोग उन्हें सुनने आते इन सभाओं में गांधीजी ने स्वराज का

अर्थ स्पष्ट किया और आह्वान किया कि लोग ब्रिटिश सरकार की शान्तिपूर्वक अवना करें यानी अंग्रेजों का कहा न मानें 6 अप्रैल को वह दांडी पहुँचे और उन्होंने समुद्र का पानी उबालकर नमक बनाना शुरू कर दिया।

यह कानून का उल्लंघन था।

अतः स्पष्ट है कि नमक यात्रा उपनिवेशवाद के खिलाफ प्रतिरोध का एक असरदार प्रतीक था।

प्रश्न 1. असहयोग आन्दोलन अचानक क्यों स्थगित हो गया ?

उत्तर- असहयोग आन्दोलन का स्थगन- 5 फरवरी सन् 1922 को गोरखपुर के निकट चौरी-चौरा गाँव में पुलिस ने भीड़ पर गोली चलायी। जब उसका गोला-बारूद समाप्त हो गया तो पुलिसजनों ने अपने को थाने में बन्द कर लिया। भीड़ ने थाने में आग लगा दी, जिससे 22 सिपाही जलकर मर गये। गांधीजी अहिंसात्मक आन्दोलन में विश्वास करते थे। अतः इस हिंसात्मक घटना से उन्हें आघात लगा और उन्होंने असहयोग आन्दोलन को स्थगित कर दिया।

प्रेशन 2. खिलाफत और असहयोग आन्दोलन के क्या लक्ष्य थे।

उत्तर-खिलाफत आन्दोलन-प्रथम विश्व युद्ध समाप्त होने के बाद टर्की के साथ जो अन्यायपूर्ण व्यवहार किया गया था, उस पर वहाँ खिलाफत आन्दोलन प्रारम्भ हुआ। इसके समर्थन में भारत के अली भाइयों (मोहम्मद अली और शौकत अली) ने खिलाफत आन्दोलन आरम्भ किया असहयोग आन्दोलन-कांग्रेस ने 1920 में गांधीजी के नेतृत्व में असहयोग का नया कार्यक्रम अपनाया। जलियाँवाला बाग का हत्याकाण्ड, रॉलेट एक्ट का विरोध, ब्रिटिश सरकार की वादा खिलाफी स्वराज की प्राप्ति, यह असहयोग आन्दोलन के उद्देश्य थे का विरोध और स्वराज की प्राप्ति, यह असहयोग आन्दोलन के उद्देश्य थे।

8 प्रश्न 4. पूर्ण स्वराज्य के लक्ष्य को कब और कहाँ स्वीकार किया गया ?

उत्तर- दिसम्बर 1929 में कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन में जो कि लाहौर में हुआ, इसके अध्यक्ष

जवाहरलाल नेहरू थे। यहाँ कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज्य को अपना लक्ष्य स्वीकार किया और इसकी प्राप्ति के लिए गांधीजी के नेतृत्व में सविनय अवज्ञा आन्दोलन चलाने का फैसला किया।

प्रश्न 5. रॉलेट एक्ट क्या था ?

उत्तर- यह एक ऐसा कानून था जिसके अनुसार किसी भी व्यक्ति को बिना अभियोग चलाये अनिश्चित समय तक जेल में डाला जा सकता था। यह सन् 1919 में पारित हुआ था। रॉलेट एक्ट का प्रमुख उद्देश्य राष्ट्रीय आन्दोलनों को कुचलना था। अत: गांधीजी ने इस एक्ट का व्यापक विरोध किया।

प्रश्न 6. ‘बहिष्कार’ से क्या आशय है ?

उत्तर- बहिष्कार किसी के साथ सम्पर्क रखने और जुड़ने से इन्कार करना या गतिविधियों में हिस्सेदारी, चीजों की खरीद व प्रयोग से इन्कार करना। आमतौर पर यह विरोध का एक रूप होता है।

प्रश्न 8. गिरमिटिया मजदूर किन्हें कहा जाता था ?

उत्तर-औपनिवेशिक शासन के दौरान बहुत सारे लोगों को कार्य करने के लिए फिजी, गयाना, वेस्टइंडीज आदि स्थानों पर ले जाया गया था जिन्हें बाद में गिरमिटिया कहा जाने लगा। उन्हें एक एग्रीमेंट के तहत ले जाया जाता था। बाद में इसी एग्रीमेंट को ये मजदूर गिरमिट कहने लगे जिससे आगे चलकर इन मजदूरों को गिरमिटिया मजदूर कहा जाने लगा।

प्रश्न.9 बारदोली सत्याग्रह’ के बारे में बताइए।

उत्तर- बारदोली सत्याग्रह-1928 में वल्लभभाई पटेल ने गुजरात के बारदोली तालुका में किसान

आन्दोलन का नेतृत्व किया, जो कि भू-राजस्व को बढ़ाने के खिलाफ था। यह वारदोली सत्याग्रह के नाम से

जाना जाता है और यह आन्दोलन वल्लभभाई पटेल के सक्षम नेतृत्व के तहत सफल रहा। इस संघर्ष का प्रचार व्यापक रूप से हुआ और इसे भारत के कई हिस्सों में अत्यधिक सहानुभूति प्राप्त हुई।

प्रश्न 10. लाला लाजपत राय का देहान्त किस प्रकार हुआ ?

उत्तर- साइमन कमीशन के खिलाफ शान्तिपूर्ण प्रदर्शन के दौरान ब्रिटिश पुलिस ने लाला लाजपत राय पर हमला किया प्रदर्शन के दौरान मिले गहरे जख्मों के कारण उन्होंने दम तोड़ दिया।

प्रश्न 1. प्रथम विश्व युद्ध ने भारत में किस प्रकार से एक नई आर्थिक स्थिति पैदा की ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- प्रथम विश्व युद्ध ने भारत की अर्थव्यवस्था को निम्न प्रकार प्रभावित किया

(1) प्रथम विश्व युद्ध के कारण रक्षा व्यय में भारी बढ़ोत्तरी हुई। इस खर्चे की भरपाई करने के लिए युद्ध

के नाम पर कर्जे लिए गए और करों में वृद्धि की गई। सीमा शुल्क बढ़ा दिया गया और आयकर शुरू किया गया।

(2) युद्ध के दौरान कीमतें तेजी से बढ़ रही थीं। 1913 से 1918 के बीच कौमतें दो गुना हो चुकी थीं जिसके कारण आम लोगों की मुश्किलें बढ़ गई थीं।

(3) 1918-19 और 1920-21 में देश के बहुत सारे हिस्सों में फसल खराब हो गई जिसके कारण खाद्य पदार्थों का भारी अभाव पैदा हो गया।

प्रश्न 2. भारत पहुंचने के बाद गांधीजी ने विभिन्न स्थानों पर सत्याग्रह आन्दोलन को सफलतापूर्वक कैसे चलाया ? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर भारत आने के बाद गांधीजी ने कई स्थानों पर सत्याग्रह आन्दोलन चलाया।

(1) गांधीजी ने 1917 में बिहार के चंपारन इलाके का दौरा किया और दमनकारी बागान व्यवस्था के खिलाफ किसानों को संघर्ष के लिए प्रेरित किया।

(2) 1917 में गांधीजों ने गुजरात के खेड़ा जिले के किसानों की मदद के लिए सत्याग्रह का आयोज किया। फसल खराब हो जाने और प्लेग को महामारी के कारण खेड़ा जिले के किसान लगान चुकाने की हा में नहीं थे। वे चाहते थे कि लगान वसूलों में ढोल दी जाए।

(3) 1918 में गांधीजी सूती कपड़ा कारखानों के मजदूरों के बीच सत्याग्रह आन्दोलन चलाने अहमदाबाद पहुँचे।

प्रश्न 3. सविनय अवज्ञा आन्दोलन चलाए जाने के क्या कारण थे ?

उत्तर-दिसम्बर 1929 के लाहौर कांग्रेस अधिवेशन में कांग्रेस कार्यसमिति को सविनय अवज्ञा आन्दोलन आरम्भ करने की स्वीकृति दी गई थी। वायसराय लॉर्ड इरविन ने लाहौर अधिवेशन के पूर्ण स्वाधीनता प्रस्ताव को मानने से इन्कार कर दिया था परन्तु गांधीजी अभी भी समझौते की आशा रखते थे। अतः उन्होंने 30 जनवरी 1930 को लॉर्ड इरविन के समक्ष ।। माँगें प्रस्तुत कीं। गांधीजी ने यह भी घोषित किया कि माँगें स्वीकार न होने की स्थिति में सविनय अवज्ञा आन्दोलन आरम्भ किया जाएगा।

गांधीजी चाहते थे कि सरकार विनिमय की दर घटाए, भू-राजस्व कम करे, पूर्ण नशाबन्दी लागू हो, बन्दूकों को रखने का लाइसेंस दिया जाए, नमक पर कर समाप्त हो, हिंसा से दूर रहने वाले राजनीतिक बन्दी छोड़े जाएँ, गुप्तचर विभाग पर नियन्त्रण स्थापित हो, सैनिक व्यय में पचास प्रतिशत कमी हो, कपड़ों का आयात कम हो आदि। वायसराय ने इन माँगों को अस्वीकार कर दिया। अत: गांधीजी ने योजनानुसार सविनय अवज्ञा आन्दोलन आरम्भ किया।

प्रश्न 4. स्वतन्त्रता संग्राम के इतिहास में 1929 के लाहौर अधिवेशन का क्या महत्व है

उत्तर-कांग्रेस का 44वाँ अधिवेशन 1929 में लाहौर में हुआ। इस अधिवेशन के अध्यक्ष पं. जवाहर लाल नेहरू थे। अपने इसी अधिवेशन में कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज्य की माँग का प्रस्ताव पास किया। स्वतन्त्रता प्राप्ति के लिए सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू करने का निर्णय भी लिया गया। यह भी निर्णय लिया गया कि हर वर्ष 26 जनवरी का दिन सम्पूर्ण भारत में स्वतन्त्रता दिवस के रूप में मनाया जाए। इस प्रकार 26 जनवरी 1930 को स्वतन्त्रता दिवस के रूप में मनाया गया। इसके मनाये जाने से जन-साधारण में एक बड़ा जोश पैदा हो गया और पूर्ण स्वराज्य का सन्देश घर-घर पहुँच गया। इसी कारण लाहौर अधिवेशन का भारतीय इतिहास में महत्त्वपूर्ण स्थान है।

5. गांधीजी ने असहयोग आन्दोलन क्यों प्रारम्भ किया ? इसके क्या सिद्धान्त थे ?

उत्तर- गांधीजी के नेतृत्व में 1920 में असहयोग आन्दोलन का नया कार्यक्रम अपनाया गया। जलियाँवाल बाग का हत्याकाण्ड एवं रॉलेट एक्ट का विरोध, अंग्रेजी सरकार की वादाखिलाफी का विरोध और स्वराज्य की प्राप्ति असहयोग आन्दोलन के उद्देश्य थे। असहयोग आन्दोलन के तीन आरधारभूत सूत्र थे-कौंसिलों का

बहिष्कार, न्यायालयों का बहिष्कार और विद्यालयों का बहिष्कार। इस आन्दोलन के निम्नलिखित कार्यक्रम थे

(I) सरकारी उपाधियों का त्याग व अवैतनिक पदों का बहिष्कार।

(2) वकीलों और वैरिस्टरों द्वारा न्यायालयों का बहिष्कार।

(3) विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार।

(4) स्थानीय संस्थाओं के मनोनीत सदस्यों द्वारा अपने पदों का त्याग।

(5) सरकारी उत्सवो का बहिष्कार।

प्रश्न 6. खिलाफत आन्दोलन क्या था ? इसके महत्त्व को बताइए।

उत्तर- खिलाफत आन्दोलन असहयोग आन्दोलन की एक महत्त्वपूर्ण घटना थी। इस आन्दोलन का प्रारम्भ प्रथम विश्व युद्ध के बाद हुआ खिलाफत आन्दोलन का मुख्य उद्देश्य इस्लाम के खलीफा सुल्तान की फिर से शक्ति दिलाना था। इसके समर्थन में भारत से अलो बन्धुओं (मुहम्मद अली और शौकत अली) ने खिलाफत आन्दोलन प्रारम्भ किया। खिलाफत आन्दोलन में कांग्रेस के नेता भी सम्मिलित हुए और आन्दोलन को पूरे भारत में फैलाने में उन्होंने सहायता दी। किन्तु टर्की में इस आन्दोलन के समाप्त होते ही भारत के मुसलमानों ने भी इसे समाप्त कर दिया।

खिलाफत आन्दोलन का महत्त्व-भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन में खिलाफत तथा असहयोग आन्दोलन का विशेष महत्त्व रहा है। इसके कारण हिन्दू और मुस्लिम एकता को बल मिला जिससे स्वतन्त्रता आन्दोलन सबल बना।

7. “सविनय अवज्ञा आन्दोलन” का वर्णन कीजिए।

उत्तर-सन् 1930 ई. में लाहौर में हुए अधिवेशन में पूर्ण स्वाधीनता को अपना लक्ष्य घोषित किया और गांधीजी के नेतृत्व में सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ करने का निश्चय किया गया। गांधीजी ने इस आन्दोलन

में निम्न प्रमुख कार्यक्रम रखे- 

(1) जगह-जगह नमक कानून तोड़कर नमक बनाया जाए।

(2) सरकारी कर्मचारी सरकारी नौकरियों को त्याग दें और छात्र सरकारी स्कूल-कॉलेजों का बहिष्कार करें।

(3) विदेशी वस्त्रों को त्याग कर उनकी होली जलायी जाए।

(4) स्त्रियाँ शराब अफीम और विदेशी कपड़े की दुकानों पर धरना दें।

(5) जनता सरकार को कर न दे।

गांधीजी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन का शुभारम्भ नमक कानून का उल्लंघन कर किया। 12 मार्च 1930 को गांधीजी ने दाण्डी के लिए प्रस्थान किया और वहाँ 5 अप्रैल को पहुँचे। यह घटना ‘दाण्डी यात्रा’ के नाम से प्रसिद्ध है। मार्ग में जनता ने सत्याग्रहियों का अभूतपूर्व स्वागत किया। वहाँ उन्होंने नमक कानून तोड़ा। इस प्रकार देश में नमक कानून भंग करने का आन्दोलन चल पड़ा। आम जनता ने भी नमक कानून का उल्लंघन किया। यह सविनय अवज्ञा आन्दोलन का प्रारम्भ था। हिन्दुस्तान के सभी भागों में लोगों ने सरकारी कानूनों को भंग करना शुरू किया स्त्रियों ने भी पर्दा छोड़कर इस आन्दोलन में भाग लिया। किसानों ने भी सरकार को कर देने से इन्कार कर दिया। विदेशी कपड़े का बहिष्कार हुआ 5 मार्च 1931 को गांधीजी का वायसराय इरविन से समझौता हो गया और गांधीजी ने आन्दोलन स्थगित कर दिया। नवम्बर 1931 ई. में गांधीजी ने कांग्रेस की ओर से लन्दन में द्वितीय गोलमेल सम्मेलन में भाग लिया और भारत के लिए पूर्ण स्वाधीनता की माँग की, परन्तु ब्रिटिश शासन ने उनकी माँग को स्वीकार नहीं किया। अतः 1932 ई. में कांग्रेस ने गांधीजी के नेतृत्व में पुनः सविनय अवज्ञा आन्दोलन शुरू किया। सरकार ने दमन-चक्र तेज किया। एक लाख से अधिक व्यक्ति गिरफ्तार हुए। 1934 ई. में गांधीजी ने आन्दोलन को समाप्त कर दिया।

प्रश्न 8. भारत छोड़ो आन्दोलन का क्या अर्थ है एवं यह कब शुरू हुआ ? भारतीय स्वतन्त्रता के इतिहास में इसके महत्त्व को लिखिए।

उत्तर -भारत छोड़ो आन्दोलन 1942 के वर्ष में देश के राजनीतिक मंच पर एक ऐसा ऐतिहासिक आन्दोलन आरम्भ हुआ जिसे ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ के नाम से जाना जाता है। यह यथार्थतः जन-आन्दोलन था। यह एक ऐसा अन्तः प्रेरित और स्वेच्छामूलक सामूहिक आन्दोलन था, जिसका जन्म राष्ट्र की स्वाधीनता के लिए स्व-प्रेरणा के फलस्वरूप हुआ था। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने 8 अगस्त 1942 को ‘भारत छोड़ो’ का प्रसिद्ध प्रस्ताव पास किया। भारत छोड़ो आन्दोलन के अवसर पर महात्मा गांधी ने अपने उत्साहपूर्ण तथा जोशीले भाषण में

भारतवासियों को ‘करो या मरो’ का ऐतिहासिक सन्देश दिया। इस सन्देश का आशय था कि स्वतन्त्रता की प्राप्ति के लिए भारतवासियों को अहिंसक ढंग से हर सम्भव उपाय करना चाहिए।

आन्दोलन का प्रारम्भ-भारत छोड़ो प्रस्ताव के पारित होने के दूसरे दिन ही ब्रिटिश सरकार ने महात्मा गांधी को गिरफ्तार कर लिया। परिणामस्वरूप ‘भारत छोड़ो’ आन्दोलन की आग सारे देश में फैल गयी। प्रमुख राष्ट्रीय नेताओं को गिरफ्तार कर लेने के कारण इस आन्दोलन ने हिंसात्मक रूप ले लिया। जगह-जगह पर उग्र प्रदर्शन हुए। नगरों तथा गाँवों में विशाल जुलूस निकाले गये। स्थान-स्थान पर रेलवे स्टेशन, डाकखाने, तारघर तथा थानों को जला दिया गया।

बलिया, सतारा, बंगाल तथा बिहार के कुछ स्थानों पर तो कुछ काल के लिए ब्रिटिश शासन का नामोनिशान ही मिटा दिया गया। इन स्थानों पर आन्दोलनकारियों ने स्वतन्त्र शासन की स्थापना कर दी, परन्तु ब्रिटिश सरकार ने भी कठोरता से अपना दमन चक्र चलाया। यह आन्दोलन 1945 तक किसी-न-किसी रूप में चलता रहा। यह सत्य है कि ब्रिटिश सरकार ने इस आन्दोलन का दमन कर दिया था, परन्तु इस जनजागृति ने ऐसे वातावरण का निर्माण किया कि कुछ वर्षों के बाद ही ब्रिटिश सरकार को भारत छोड़कर जाना पड़ा।

भारत छोड़ो आन्दोलन का महत्त्व-भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन के इतिहास में ‘भारत छोड़ो आन्दोलन’ का अपना विशेष महत्त्व है। यह सत्य है कि जिस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आन्दोलन को प्रारम्भ किया गया था, वह तुरन्त प्राप्त नहीं हो सका, परन्तु इसके प्रभाव व्यापक रहे। इस आन्दोलन के कारण अमेरिका, चीन आदि विशाल राष्ट्रों को भारत के जन असन्तोष का ध्यान हुआ जिससे उन्होंने ब्रिटेन पर दबाव डाला कि वह भारत को स्वतन्त्र कर दे। साथ ही ब्रिटेन को भी यह ज्ञात हो गया कि वह अधिक दिनों तक भारत को पराधीन नहीं रख सकता। अन्य शब्दों में, इस आन्दोलन ने भारत की स्वतन्त्रता की पृष्ठभूमि तैयार कर दी थी।

प्रिश्न 9. भारत छोड़ो आन्दोलन क्यों प्रारम्भ हुआ ? यह असफल क्यों हुआ ?

उत्तर- क्रिप्स मिशन के असफल हो जाने से तथा क्रिप्स के द्वारा कांग्रेस को असफलता के लिए उत्तरदायी ठहराये जाने के कारण भारतीय जनता में अत्यन्त असन्तोष तथा निराशा की भावना उत्पन्न हुई। क्रिप्स मिशन ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि ब्रिटिश सरकार साम्प्रदायिकता के पक्ष को लेकर भारत को स्वतन्त्रता प्रदान नहीं करेगी। अन्य शब्दों में, क्रिप्स मिशन का उद्देश्य भारत को स्वतन्त्रता प्रदान करना नहीं था, अतः भारत की स्वतन्त्रता के लिए भारत छोड़ो आन्दोलन चलाना आवश्यक हो गया।

10. स्वतन्त्रता आन्दोलन में गांधीजी के योगदान का वर्णन कीजिए।

उत्तर- भारत के स्वतन्त्रता संग्राम में महात्मा गांधी का योगदान भारतीय स्वाधीनता संग्राम के इतिहास में महात्मा गांधी का स्थान सर्वोच्च है। गांधीजी ने भारत के स्वाधीनता संघर्ष को अहिंसा व सत्याग्रह के आधार पर चलाया। उनका कहना कि सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर ही स्वराज हासिल किया जा सकता है। अंग्रेजों के प्रति असन्तोष प्रकट करने के लिए उन्होंने असहयोग आन्दोलन और सविनय अवज्ञा आन्दोलन आदि शुरू किये। इन आन्दोलनों ने भारत में अंग्रेजी साम्राज्य की नींव दिला दी। 1914 में गांधीजी भारत लौटे और आते ही भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन में कूद पड़े। अहमदाबाद में साबरमती के किनारे एक आश्रम की स्थापना की और बिहार के चम्पारन जिले से किसानों की रक्षा के लिए गोरे कोठीवालों के अत्याचारों के विरुद्ध छोटे पैमाने पर सत्याग्रह किया। इसमें उन्हें पर्याप्त सफलता मिली। उन्होंने गाँव-गाँव जाकर लोगों के सामने पराधीन भारत को करुणावस्था का चित्र खाँचा और देश के उत्थान हेतु कमर कसने के लिए लोगों को प्रेरित किया। भयभीत जनता राष्ट्रीय आन्दोलन एक जन आन्दोलन बन सका। उन्होंने निर्भर बनाया। उन्हीं के प्रयासों से विश्व युद्ध के पश्चात् 1919 ई. में ब्रिटिश सरकार ने रॉलेट एक्ट पास किया जिसका उद्देश्य प्रथम भारतीयों को दबाना था। गांधीजी के आह्वान पर हिन्दू-मुसलमान एक्ट के विरोध में एकजुट हो गये। गांधीजी ने खिलाफत आन्दोलन में पूर्ण सहयोग दिया। खिलाफत कमेटी ने भी 31 अगस्त 1920 को असहयोग आन्दोलन छेड़ दिया। इसके नेतृत्व की बागडोर गांधीजी के हाथों में दे दी गयी। साइमन कमीशन के विरोध 1930 ई. में सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ किया गया 12 मार्च 1930 को दाण्डी यात्रा से गांधीजी ने दूसरे सविनय अवज्ञा आन्दोलन का सूत्रपात किया। दूसरी गोलमेज परिषद में गांधीजी ने कांग्रेस के एकमात्र प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया और वहाँ यह दावा किया कि कांग्रेस सम्पूर्ण देश और समस्त हितों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था है। कांग्रेस ने गांधी के नेतृत्व में बम्बई में 8 अगस्त को ‘भारत छोड़ो’ के ऐतिहासिक प्रस्ताव को पारित किया। गांधीजी ने इस प्रस्ताव पर बोलते हुए भारतीय जनता को करो या मरो’ का सन्देश दिया। 9 अगस्त 1942 को गांधीजी तथा कार्यसमिति के सभी नेताओं को गिरफ्तार कर किसी अज्ञात स्थान पर भेज दिया गया। इन आन्दोलनों ने भारत में अंग्रेजी राज्य की नींव हिला दो और अन्त में 15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हो गया।

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Keshav Khuariya
Keshav Khuariyahttp://examdeep.com
मेरा नाम Keshav है मैं पिछले 5 साल से ब्लॉगिंग कर रहा हूं । मैं examdeep.com वेबसाइट पर Exam, Result, Imp Study material, Board exam preparation, Education से संबंधित Article लिखता हूं। लाखों छात्र हमारी वेबसाइट को पसंद करते हैं।
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